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मुहावरा | अर्थ |
गूँगे का गुड़ | वर्णनातीत अर्थात जिसका वर्णन न किया जा सके (Varnanaateet Arthaat Jisaka Varnan Na Kiya Ja Sake) |
वाक्य में प्रयोग- | दादाजी कहते हैं कि ईश्वर के ध्यान में जो आनंद मिलता है, वह तो गूँगे का गुड़ है। |
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घातपर चढ़ना( Ghaatapar Chadhana) |
गुदड़ी का लाल ( Gudadee Ka Laal) |
घात लगाना ( Ghaat Lagaana) |
गाँठ का पूरा, आँख का अंधा ( Gaanth Ka Poora Aankh Ka Andha) |
गाल फुलाना ( Gaal Phulaana) |
घुटने टेकना ( Ghutane Tekana) |
घर में आग लगाना ( Ghar Mein Aag Lagaana) |
घर बसाना ( Ghar Basaana) |
घोलकर पी जाना ( Gholakar Pee Jaana) |
घर में भुंजी भाँग न होना ( Ghar Mein Bhunjee Bhaang Na Hona) |
गीदड़भभकी( Geedadabhabhakee) |
घी के दीए जलाना ( Ghee Ke Deee Jalaana) |
गंगा लाभ होना( Ganga Laabh Hona) |
गौं का यार ( Gaun Ka Yaar) |
गजब ढाना ( Gajab Dhaana) |
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