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मुहावरा | अर्थ |
अन्धेर नगरी | जहाँ धांधली का बोलबाला हो (Jahaan Dhaandhalee Ka Bolabaala Ho) |
वाक्य में प्रयोग- | इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी ही है। |
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आग लगाकर पानी को दौड़ाना ( Aag Lagaakar Paanee Ko Daudaana) |
अत्र-जल करना ( Atr Jal Karna) |
आन की आन में ( Aan Kee Aan Mein) |
अंगार बनना( Angaar Banana) |
आगा- पीछा न सोचना( Aaga- Peechha Na Sochana) |
अड़चन डालना( Adachan Daalana) |
आँखें मूँदना ( Aankhen Moondana) |
आटे के साथ घुन पिसना ( Aate Ke Saath Ghun Pisana) |
आँखें बंद होना ( Aankhen Band Hona) |
आँतें बुलबुलाना ( Aanten Bulabulaana) |
अन्धा बनाना ( Andha Banaana) |
आँख रखना( Aankh Rakhana) |
आँखे दिखाना ( Aankhe Dikhaana) |
आटे- दाल का भाव मालूम होना( Aate- Daal Ka Bhaav Maaloom Hona) |
आँखों से परदा हटना असलियत का पता लगना( Aankhon Se Parada Hatana) |
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