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मुहावरा | अर्थ |
कान या कानों पर जूँ न रेंगना | किसी की बात पर ध्यान न देना (Kisee Kee Baat Par Dhyaan Na Dena ) |
वाक्य में प्रयोग- | मैं चीख-चीख कर हार गया, पर मोहन के कान पर जूँ नहीं रेंगा। |
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कलेजे का टुकड़ा ( Kaleje Ka Tukada ) |
कागजी घोड़े दौड़ाना ( Kaagajee Ghode Daudaana ) |
कुत्ते की मौत मरना ( Kutte Kee Maut Marana ) |
काजल की कोठरी ( Kaajal Kee Kotharee ) |
खून पीना ( Khoon Peena ) |
काफूर हो जाना ( Kaaphoor Ho Jaana ) |
कान खाना ( Kaan Khaana ) |
काला अक्षर भैंस बराबर ( Kaala Akshar Bhains Baraabar) |
खून के आँसू रोना ( Khoon Ke Aansoo Rona ) |
खोपड़ी गंजी करना ( Khopadee Ganjee Karana ) |
कान फूंकना ( Kaan Phoonkana) |
खाक में मिलना ( Khaak Mein Milana ) |
किताब का कीड़ा होना ( Kitaab Ka Keeda Hona ) |
कलेजा ठंढा होना( Kaleja Thandha Hona) |
कचूमर निकालना ( Kachoomar Nikaalana ) |
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